गुल है बाग़ मे मगर खुशबू नही है
जां है बदन मे मगर रूह नही है
तेरा होना भी इक हादसा है ग़ज़ब का
कि रग रग मे है तू मगर रूबरू नही है।
गुल है बाग़ मे मगर खुशबू नही है
जां है बदन मे मगर रूह नही है
तेरा होना भी इक हादसा है ग़ज़ब का
कि रग रग मे है तू मगर रूबरू नही है।