रग रग मे है तू ANIL BACHLE 8 years ago गुल है बाग़ मे मगर खुशबू नही है जां है बदन मे मगर रूह नही है तेरा होना भी इक हादसा है ग़ज़ब का कि रग रग मे है तू मगर रूबरू नही है।