Site icon Saavan

*रात में सिर्फ मेरे साथ चाँद रहता है*

उलझनें रात को उबाती हैं दिन में नहीं
तन्हाई रात को तड़पाती है दिन में नहीं..
पीर महसूस करने का वक्त
दिन में नहीं मिल पाता है
इसीलिए कवितायें रात को
लिखती हूँ दिन में नहीं..
दिन में किसी ना किसी से जंग छिड़ी रहती है
और रात खामोंशी में आराम से कटती है…
दिन में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ता है
रात में सिर्फ मेरे साथ चाँद रहता है…
रात में दिल की धड़कनें जोर से
धड़कती हैं,
जो मुझे कानों से सुनाई पड़ती हैं…
दिन में मेरी आवाज कौन सुनता है ?
दिन में तो खुद को भी बार-बार
ढूंढना पड़ता है..
रात में खामोंश-सी तन्हाई साथ रहती है
जो दिल के जज्बात लेखनी से बयां करती है..

Exit mobile version