कान्हा ने बोला राधा से,
तेरी ये अखियां कजरारी।
मन मोह लेती हैं मेरा प्यारी,
इठलाती फिर राधा बोली।
मोहन तुम्हारी मीठी बोली,
हर लेती है हिय को मेरे,
भागी भागी आती हूं सुन,
मीठी तेरी बंसी की धुन।
कान्हा बोले मृदुल भाषिणी,
सुन मेरी सौन्दर्य राषिणी
तुम हो सदा ही परम पुनीता,
तुमने मेरा मन है जीता।
तुम हो मन की अति भोरी,
तुम सबसे प्रिय सखि मोरी।।
____✍️गीता