राधा मोहन गीत

कान्हा ने बोला राधा से,
तेरी ये अखियां कजरारी।
मन मोह लेती हैं मेरा प्यारी,
इठलाती फिर राधा बोली।
मोहन तुम्हारी मीठी बोली,
हर लेती है हिय को मेरे,
भागी भागी आती हूं सुन,
मीठी तेरी बंसी की धुन।
कान्हा बोले मृदुल भाषिणी,
सुन मेरी सौन्दर्य राषिणी
तुम हो सदा ही परम पुनीता,
तुमने मेरा मन है जीता।
तुम हो मन की अति भोरी,
तुम सबसे प्रिय सखि मोरी।।
____✍️गीता

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Responses

  1. भागी भागी आती हूं सुन,
    मीठी तेरी बंसी की धुन।
    कान्हा बोले मृदुल भाषिणी,
    सुन मेरी सौन्दर्य राषिणी
    —– कवि गीता जी की बहुत सुंदर कविता है यह। भाव की मधुरिमा पाठक हृदय में मिठास का संचार करने में पूरी तरह सक्षम है। शिल्प भी श्रेष्ठ भाव भी उत्तम, अभिव्यक्ति और भी लाजवाब। बहुत खूब

    1. कविता की इतनी सुंदर और उत्साह वर्धक समीक्षा एक विद्वत ही कर सकता है। आपकी कलम से निकली इस सुंदर एवं उत्साह प्रदान करती हुई समीक्षा हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद सतीश जी।कविता के भाव को अच्छी प्रकार से समझने के लिए अभिवादन सर

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