अजीब है यह दुनिया
जिनोंहने बात बैर की की, लोगों को बाटने की की
बात वह राम राज्य की करते है
जिनके बिरियानी खा कर हम लखनऊ की
नवाबी ठाठ के गुण गाते है
बात जब मज़हब की हो उनको मारने मे हम
नहीं कतराते
बात रसूल की हो या उसूल की
हम समझौता नहीं करते
काफिर जो अंदर बसा है
बाहर उसको हम ढूंढ़ते
तेरा खुदा मेरा भगवान हम करते
एक ही रब के हज़ारों नाम हम जपते
बात जब देश को अंदर से खोखला करने वाली हो
राष्ट्रवाद का नाम लेते
तोड़ने वाले को जोड़ने की ज़िम्मेदारी हम देते
बात तोह हम शांती की करते है
आस पास कही वह रहती होंगी
क्यों की भारत मे जाती धर्म के नाम पर हज़ारो भारत
बस चुके है
शांती किसी लड़की का नाम ही होगा शायद
क्योंकी मुसलमान अमन या हिन्दू शांती को हमने कब लव जिहाद के नाम पर मार डाला है