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राष्ट्रीय शोक दिवस

बहुत दुख भरा दिवस है,
आज राष्ट्रीय शोक का।
टूटी थी किसी की राखी,
और किसी मां की उजड़ी कोख का।
इस दुख भरे दिवस को ,
आज,प्रेम दिवस ना कहना।
आज ही के दिन…..
पुलवामा में ग़म के बादल आए थे
याद करो उन वीरों को जो,
घर ओढ़ तिरंगा आए थे।
जला लहू पुलवामा में,
जिन वीर जवानों का
हाथ जोड़कर नमन है उनको,
कोई और-छोर नहीं उनके बलिदानों का।
कैसे स्वीकार करें आज गुलाब,
वतन के शहीदों की आई है याद।
हाथ जोड़कर नम आंखों से,
आज श्रद्धांजलि अर्पित उन्हें,
जो लौट के घर ना आ पाए,
आज याद कर लो उन्हें।
42 फौजी उस हमले में शहीद हुए,
भारत के हर राज्य के लाल से धरा हुई थी लाल।
आज अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करें
प्रेम दिवस नहीं आज श्रद्धांजलि दिवस मनाएं।
जब-जब मिली है उनकी शहादतो की ख़बर,
लहू जलकर आंखों से निकला है।
सुनते रहेंगे उनके शौर्य की कथाएं,
देखो तिरंगे में फौजी निकला है।
______✍️गीता

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