वो आते तो हैं
मेरे आशियाने में..
मुझी से मिलने मगर जताते नहीं हैं
बस हम समझ जाते हैं..
नज़रे झुकाए रहते हैं और
दिल लगाने की बात करते हैं..
कितने नादान हैं
चुपके से देख लेते हैं
रुख पर मुस्कान लिये…
मैं जानती हूँ वो तगाफुल
करने में माहिर हैं
पर हम भी दिल में
बस जायेंगे आहिस्ता- आहिस्ता…
रास्ता कहीं से तो जाता होगा
उनके दिल तक!
पहुँच ही जाऊँगी उन तक
फिर देखूँगी कहाँ जाते हैं
हमसे बचकर…