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राहें

जब राहें कंटकित व वीरान हो,
और कोई ना तेरे साथ हो,

तब तुम व्यथित होना नहीं,
हिम्मत मन की खोना नहीं,

जब होता कोई पास नहीं,
तब होता हैं वो आसपास कहीं,

एहसास करो अपनी श्वासों में,
छू लो उसको अपने ख़्यालों में,

जब जग के नाथ होंगे साथ तेरे,
तब उसके हाथ होंगे सर पर तेरे

फिर सूनी राहें ना डरायेंगी,
पथ से भ्रमित ना कर पाऐंगी।
-अनु सिंगला

सुधार के लिए सुझाव का स्वागत है।

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