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रिश्ते

रिश्तो की क्या है परिभाषा ?
क्या मान है? क्या है मर्यादा ?
बीती बातें युग बीत चले,
रिश्ते मानों को भी खो चले।
रिश्तो में ना अब वह सच्चाई है ।
ना पहले जैसी गहराई है।
जीवन ही पूरा बनावट है ।
रिश्ते तो खाली सजावट है ।
महज दिखावा रिश्तो का ,
लो देख तमाशा रिश्तों का।
निमिषा सिंघल

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