रिश्ते
रिश्तो की क्या है परिभाषा ?
क्या मान है? क्या है मर्यादा ?
बीती बातें युग बीत चले,
रिश्ते मानों को भी खो चले।
रिश्तो में ना अब वह सच्चाई है ।
ना पहले जैसी गहराई है।
जीवन ही पूरा बनावट है ।
रिश्ते तो खाली सजावट है ।
महज दिखावा रिश्तो का ,
लो देख तमाशा रिश्तों का।
निमिषा सिंघल
बेहतरीन रचना
Dhanyavad 🙏
Nice
Thankyou
Nice
Thanks
Nice one
वाह बहुत सुन्दर
सुंदर रचना
Good one
Superb