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रिश्तों का सम्मान

भांप गया सत्य बात ,जो मानता नहीं
सच कहे ‘मंगल ‘देश में,दुश्मन बड़ा वही !
भूख – प्यास जकड़न भल ,भरमता कहा सही
पूजी मिली प्यार की ,ठुकराता चला कहीं |
सम्मान रिश्तों का नहीं ,उड़ान आकाशे बही
पास फेसबुक साथ लिए ,हताश जिंदगी रही !
मंगल रिश्तों का सम्मान ,निभाया जिसने नहीं
रचनात्मकता फीकी पड़ी,वह टिकता नहीं कही|| -SUKHMANGAL SINGH “

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