रुख़्सत कुछ इस तरह हो गए Manish Upadhyay 6 years ago रुख़्सत कुछ इस तरह हो गए वो जिंदगी से मेरी, मानो बिन मौसम की बरसात झट से गिरकर तेज़ धूप सी खिला जाती हो, कम्बख़त मुझे थोड़ा तो भींग लेने देते कुछ देर उसके जाने के बाद उसके होने का एहसास तो कर लेता।। -मनीष