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रूबरू

कष्टों में कोई कमी न हो मेरे प्रभु
पर उन्हें सहने की क्षमता भी तूं
जब भी मुसीबतों से दबा मैं कभी
अवाक था मुझे संभाले हुए था तूं

नफरत पाली मैंने किसी के लिए
बेबस हुआ है मेरे आगे सदा ही तूं
खुशी मिली मुझे तपती दुपहरी में
मेरे कष्टों को सदा झेल रहा था तूं

अब मुझे शिकायत नहीं किसी से है
अब न मैं अकेले कहीं पल भर भी
हर कदम सांसों का पहरा चलता है
हर होश वाले क्षणों में हूं तुझसे रूबरू

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