रूबरू

कष्टों में कोई कमी न हो मेरे प्रभु
पर उन्हें सहने की क्षमता भी तूं
जब भी मुसीबतों से दबा मैं कभी
अवाक था मुझे संभाले हुए था तूं

नफरत पाली मैंने किसी के लिए
बेबस हुआ है मेरे आगे सदा ही तूं
खुशी मिली मुझे तपती दुपहरी में
मेरे कष्टों को सदा झेल रहा था तूं

अब मुझे शिकायत नहीं किसी से है
अब न मैं अकेले कहीं पल भर भी
हर कदम सांसों का पहरा चलता है
हर होश वाले क्षणों में हूं तुझसे रूबरू

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

+

New Report

Close