लम्बे- लम्बे हो गए दिन ,
रात समुन्दर जैसी हैं ,
तेरे बिन; इश्क के मंजर में,
हालत बंजर जैसी हैं ।
किया है तूमने जादू हम पर,
तेरी आंखों में मदहोशी है,
कैसे ना बहक जाए हम,
सुरत जो अप्सरा जैसी हैं ।
लम्बे लम्बे हो गए दिन,
रात समुन्दर जैसी हैं……
—-मोहन सिंह मानुष