Site icon Saavan

लड़कियाँ

घर आँगन में फूलों सी खिलती हुई लड़कियाँ!
फ़ीकी दुनिया में मिसरी सी घुलतीं हुई लड़कियां!!

उदासियों की भीड़ में हँसती हुई मिलती हैं!
ज़िम्मेदारी के बोझ तले पिसती हुई लड़कियाँ!!

ढल जाती हैं पानी सी हर बार नए आकार में!
रिश्ते निभाके ख़ुद से बिछड़ती हुई लड़कियाँ!!

लड़ रही हैं आज ख़ुद को बचाने के लिए!
मंदिर में देवियों सी पुजती हुई लड़कियाँ!!

निकल रही हैं खोल से अब पंख नए ले कर!
तितली बन आकाश में उड़ती हुई लड़कियाँ!!

©अनु उर्मिल ‘अनुवाद’

Exit mobile version