Categories: शेर-ओ-शायरी
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
कुछ नया करते
चलो कुछ नया करते हैं, लहरों के अनुकूल सभी तैरते, चलो हम लहरों के प्रतिकूल तैरते हैं , लहरों में आशियाना बनाते हैं, किसी की…
झूठ का पाश
खुद को,झूठ के एक लौह जाल में घेर लिया तुमने झूठ का ये लिहाफ़,क्यों ओढ़ लिया तुमने, ये भी झूठ और वो भी झूठ, हर…
सको तो चलो………..
हमारे साथ कदम से कदम मिला चल सको तो चलो के इस इश्क़ में कुछ देर ठहर सको तो चलो बहुत ही हौसला चाहिए, इस…
कविता -मकर संक्रांति चलो मनाए |
कविता -मकर संक्रांति चलो मनाए | मकर संक्रांति आई पतंग चलो उड़ाए | उड़े ऊंचाई जैसे सोच पेंच चलो लड़ाये | डोर पतंग की थाम…
वाह