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वक्त

शाम गुजार देते हैं लोग गुजरती नहीं,

बरसात से कभी किसी राही की प्यास बुझती नहीं,

कहे ना कहे कोई बुलाये ना बुलाये खुद ही चली आती हैं यादें,

जिस तरह सोते हैं हम तो ख़्वाबों में खुद बा खुद चले आते हैं लोग॥

राही (अंजाना)

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