क्यूँ आज सूरज हो गया निस्तेज
वह पहले जैसी बात नहीं।
हवा भी चल रही है मद्धम-मद्धम
उसमें भी पहले जैसी बात नहीं।
न जाने क्यों बेरुखी कर रहे हैं
सब मौसम के साथ
कोई भी तो नहीं दिखाई देता।
हर गली कह रही है
वह पहले जैसी बात नहीं।
पहले तो यूं भीड़ उमड़ी रहती थी।
हर गली नुक्कड़ पर लोगों की
जमात लगी रहती थी।
ऊपर वाले के एक फैसला से
इतना आ गया फासला!
रिश्तों में भी अब
पहले जैसी बात नहीं।
कितनी मायूसी छाई है चारों तरफ
मेरा दिल कहता है यह कैसा मंजर आया है?
जिसमें पहले जैसी बात नहीं।
तुम भी तो कितना
बदल गए हो वक्त के साथ
तुम्हारे व्यवहार से भी तो जाहिर होता है।
तुम में भी वह पहले जैसी बात नहीं।