Site icon Saavan

वो बुरा मान गए..

हमने सच बोला, वो बुरा मान गए
ज़रा मुंह खोला, वो बुरा मान गए।
सदियों से सुनती ही तो आई है नारी,
आज ज़रा सुनाया, तो बुरा मान गए।
औरों की चाहत को हमेशा चाहा,
आज अपनी चाहत ज़ाहिर की,वो बुरा मान गए।
ऐसा नहीं है कि हम समझते नहीं थे,
उन्हें लगा, हम समझने लगे, तो बुरा मान गए।

Exit mobile version