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वो बेख़ौफ दिखाती है, अपनी पहचान

वो बेख़ौफ़ दिखाती है,
अपनी पहचान,
छिपती ही नहीं परदे के पीछे,
रोका है उसे, टोका हैं उसे,
छुपाया हैं, उसे,
दबाया है उसे,
फिर भी छिपती ही नहीं परदे के पीछे,
और बेख़ौफ़ दिखाती है,
अपनी पहचान,
वो जता देती है,
वो मदद करती हैं,
पराये की भी अपनों की तरह,
वो दिल रखती है अपना ,
सोने-सा होकर।
वो जता देती है,
उसका न होना क्या है।
बिन माँ के बच्चे का होना क्या है,
बिन गोद की दुलार का होना क्या है,
वो बेख़ौफ़ दिखा देती है,
अपनी पहचान,
हर रास्ते पर वो चलती है,
देती है, हमारा साथ,
वो औरत है,
जो कही न कही , छुपी रहती है,
किसी परदे के पीछे,
और बता देती है,अपनी पहचान।

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