सुबह हो रही है,
घौंसले से बाहर आने को आतुर
चिड़िया ने पंखों को भुरभुराया,
सहलाया, मानो योग कर रही हो,
गर्दन इधर की, उधर की
फुर्र उड़ी
अपने दैनिक कार्य निपटाने चली।
समय की पाबंद
अपनी प्राकृतिक ब्यूटी में
लग गई है ड्यूटी में
भोजन की व्यवस्था करने
खुद के लिए भी
अपने बच्चों के लिए भी।
अब आप भी उठो ना
कुछ काम में जुटो ना।