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शराब एक अभिशाप

देखो, कैसा यह जमाना आया है,
सांझ जैसे बीती,
सुरालय की चौखट पर लाइन लगाया है।
कैसा यह जमाना आया है।।
दिन भर के खून पसीने से,
जितना पैसा कमाया है,
घर बार छोड़ सारी पूंजी,
उस मदिरा पर लुटाया है।
कैसा यह जमाना आया है।।
बीवी बच्चे हो रहे रोटी को मोहताज,
घर की इज्जत नीलाम हो रही,
इन्हें तनिक न आती लाज,
खुद तो पीते और झूमते,
इस शराब की बोतल ने बच्चों पर,
भूखे रहने का कहर बरसाया है,
इस मदिरा के चक्कर ने, राजा को रंक बनाया है।
कैसा यह जमाना आया है,
कैसा यह जमाना आया है??

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