शहीदी Varsha Kelkar 7 years ago लगे मैले हर साल, मालायें भी पहनायी फूलों की पथरायी मूर्तियों को कई बार मगर पत्थर की मूरत कभी मुस्कुराई नहीं कभी एक भी बार पता नहीं क्यों! Please like & share my poem