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शायरी तो बहाना है।

जो है बात दिल में ,
वो लब पे आए ।
चिट्ठी सा बन कर ,
उस तक पहुंच जाए,
हाले दिल को ;
शब्द जाल से ,
कुछ कहकर बतलाना है ;
शायरी तो बहाना है।

क्या बीती हम पर,
क्यों रोए हम रात भर,
दर्द दे दिल के गम को ,
थोड़ा सा हल्का कर जाना है,
शायरी तो बहाना है।

बहुत कुछ खो दिया ;
आंखों को भी भिगो दिया।
पर वफा ना मिली ,
ना कोई अपना सा मिला,
इश्क की खुमारियों का
अहसास सा कुछ कराना है ।
शायरी तो बहाना है।

चींस जो उठती है ;
जब दिल में आह ! करके
हवा हो जाती है ,
नींदें ! रात तबाह करके।
आंखों से चले झरने को;
सनम पर कुछ बरसाना हैं।
शायरी तो बहाना है।
                     ———मोहन सिंह (मानुष)

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