शीत के सबेरे में Janki Prasad (Vivash) 6 years ago शीत के सबेरे में , मित्रता की गर्माहट, प्यार मोहब्बत के सूरज की, सुनकर आहट , भावों के पंछी चहक उठते । अंगुलिया ठिठुर जाएँ , भावना उनींदी सी , प्यार के गरमागरम संदेश मगर लिखती हैं । – जानकी प्रसाद विवश