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शूरवीर

आज फिर गूँज उठा कश्मीर

सुन कर ये खबर

दिल सहम गया

और घबरा कर हाथ

रिमोट पर गया

खबर ऐसी थी की दिल गया चीर

हैडलाइन थी

आज फिर गूँज उठा कश्मीर

फ़ोन उठा कर देखा तो

उनको भेजा आखिरी मेसेज

अब तक unread था

न ही पहले के मेसेज पर

blue tick था

ऑनलाइन status भी घंटों पहले

का दिखला रहा था

अब मेरा जी और ज़ोरों से घबरा रहा था

सोचा रहा था

उस खबर में कही एक नाम उनका न हो

जिसमे लिखा था

आज फिर देश ने खोया अपना शूरवीर

आज फिर गूँज उठा कश्मीर

सुद्बुध खो के बस फ़ोन

देखे जा रही थी

रह रह के उनकी

बातें याद आ रही थी

तुम एक शूरवीर की पत्नी हो

और मेरे शहीद होने से डरती हो

मेरी तो ये इच्छा है के मैं

एक दिन तिरंगे में लिपट कर घर आऊं

बहुत शिकायत करती हो तुम

फिर हमेशा के लिए तुम्हारे

साथ ठहर जाऊँ

उनकी ये बातें दिल भेद देती थी बन कर तीर

फिर अचानक मन वर्तमान में आ पंहुचा

जहा सुना था

आज फिर गूँज उठा कश्मीर

सोते जागते उठते बैठते

मैं सिर्फ सोच रही थी

अपने बारे बारे में

और भूल गई

जिनका नाम शामिल था आज

शहीदों की लिस्ट में

जाने ये सुनकर, उस

माँ पर क्या बीत रही होगी

जब ये खबर उन तक पहुँची होगी

के नहीं रहा उनका शूरवीर

जाने वो पत्नी खुद को और

पुरे घर को कैसे संभालती होगी

ऊपर से मज़बूत दिखती होगी

पर भीतर बहा रही होगी नीर

जब से सुना होगा

आज फिर गूँज उठा कश्मीर

इतना आसन नहीं इन शूरवीरों की

शौर्य गाथा गा पाना

अपना प्रेम छिपा कर

एक पत्नी और माँ का कठोर

हो पाना

जाते जाते अपने वीर को

मुस्कुरा कर विदा कर पाना

सच पूछो तो उसकी वीरता सुन के

सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है

पर उसके साथ ही शरीर बिन

प्राण का हो जाता है

जब उसकी शहादत पर

पर सारी दुनिया को होती है पीर

सब रोते हैं जब

ये देश खोता है अपना शूरवीर

दहल जाते हैं सभी सुन के

आज फिर गूँज उठा कश्मीर

तभी फ़ोन विडियो कॉल से बज उठा

इन प्राणों में प्राण आये

जब देखी उनकी तस्वीर

सारे आँसू पोंछ लिए उसी पल

क्योंकि नहीं दिखना चाहती थी

साहसहीन

पर मेरी नज़रों को वो भाप गए

और बोले

मैंने कहा है न के

मैं वापस आऊँगा

चाहे तिरंगे में लिपट कर

या अपने पैरों पर चल कर

फिर क्यों होती हो ग़मगीन

मैं भी उनके साथ मुस्कुरा तो दी

पर दिल में वो डर हमेशा रहता है

जब गूँज उठता है कश्मीर ….

उरी ,पुलवामा ,हंदवारा के शहीदों और भारतीय सेना के शूरवीरों को मेरी भावपूर्ण श्रधांजलि

अर्चना की रचना “सिर्फ लफ्ज़ नहीं एहसास”

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