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*श्याम ! कभी गोपी बनके तो देखो*

अगर राधा ना होती तो
श्याम से प्रीत कौन करता ?
अगर मीरा ना होती तो
भक्ति के पद कौन गाता फिरता ?
यही तो है प्रेम में हमेंशा
नारियों ने अपने आपको
सराबोर कर दिया है,
केवल प्रेम किया और कुछ नहीं किया
ओ श्याम ! कभी गोपी बन के तो देखो
जैसा प्रेम राधा ने किया
वैसा प्रेम करके तो देखो
जैसे सुध-बुध खोकर गोपियों ने प्रतीक्षा की
वैसे ही सुध-बुध खोकर तो देखो
तब जानोगे तुम *प्रेम की पीर मोहन !
तुम चैन से वंशी बजाना छोंड़ दोगे..

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