संजना Praduman Amit 4 years ago सावन में ए सखी, खनके क्यों कँगना। कोयलिया गीत सुनाए ,क्यों मेरे घर अँगना।। बार बार दिल धड़काए, प्यास जगाए। जाने क्या करेगी, मेरी नादान ए कँगना।। जब सुनती हूँ, “ए शोभा पियु कहाँ ” की मीठी स्वर। तब न पूछ सखी , घायल हो जाती है ए संजना।।