सुखी है आदमी कब
जब उसे संतोष है,
अन्यथा उलझन है
मन में रोष है।
जो मिला उस पर
नहीं कुछ चैन है,
इसलिए यह मन मेरा
बेचैन है।
गर मेरे मन में
भरा संतोष है,
चमचामते दिन
मधुर सी रैन है।
हो अगर संतोष
तन पुलकित है यह
होंठ में मुस्कान
मन में चैन है।