सचमुच ये रितुराज है।
तेरे स्वागत में प्रकृति ने वसुधा के कण कण को सजाया।
बाग – बगीचा बहती सरिता खुशबू से तरुवर नहलाया।।
कोमल किसलय कोमल कुसुम मदमस्त कामराज है।
सचमुच ये रितुराज है।।
सचमुच ये रितुराज है।
तेरे स्वागत में प्रकृति ने वसुधा के कण कण को सजाया।
बाग – बगीचा बहती सरिता खुशबू से तरुवर नहलाया।।
कोमल किसलय कोमल कुसुम मदमस्त कामराज है।
सचमुच ये रितुराज है।।