एक दिन रस्ते पर मिले दो नौजवान
मैंने पूछा दोनो से क्या है आपका शुभ नाम
पहला बोला मेरा नाम है सच
सब सोचते मैं हूँ ढीठा
दूसरा बोलै मेरा नाम है झूठ
दुसरो से बोलता हूँ मीठा
झूठ बोले सच होता है मेरे नीचे
ये बोले सामने
मैं बोलू पीठ पीछे
हम दोनों से चलती है दुनिया की हर रीत
झूठ हो जाये कितना भी बड़ा
पर सच जाता हमेशा जीत
हर रस्ते पे हमसे मिलना होगा
हम में से एक को तुम्हे चुनना होगा
सच को चुनने से
कुछ वक्त में मिल जायगा आराम
झूठ चुनने से
कुछ वक्त में ज़िन्दगी हो जायगी हराम