तुम्हारी कविता प्रोफाइल पर
पढ़ता हूँ..
जब पढ़ता हूँ जी उठता हूँ,
यूं तो सहमा सहमा सा रहता हूँ..
पर तुम्हारे लिए हमेशा लड़ पड़ता हूँ
जाने क्या है जानता नहीं हूं मैं,
पर जो भी है अच्छा ही है..
यूं आती रहोगी तभी सजेगी महफिल,
मेरा दिल कहता है,
मैं तुम पर ही मरता हूँ..