सपनों की पंख मोहन 4 years ago मत काटो मेरी पंख ;मेरे अपनों मैं बुलंदी के आसमानों में उड़ना जानता हूं। छोड़ दो मुझे मेरे रास्ते पर , मैं ठोकरो से संभलना जानता हूं।