यह तन तो है माटी का बंदे,
माटी में मिल जाएगा,
जब अंत समय आएगा तो,
सब यहीं धरा रह जाएगा।
किस बात का है अभिमान तुझे,
किस बात पर तू इतराता है,
यह पैसा- कौड़,ऐशोआराम,
जीवन में आता जाता है,
जब तक तू जिए तो ऐसे जिए,
ना कष्ट किसी को हो तुझसे,
सब याद करें अंतर्मन से,
जीवन की अंतिम यात्रा में,ना होगा इतना सामर्थ्य तुममें,
दूजों के कंधों पर जाएगा।
सब यहीं धरा रह जाएगा।।