मत कहना सूरज डूब रहा है
नहीं डूबता है सूरज
जलकर निरंतर रात औऱ दिन
ज्योति उगलता है सूरज।
धरती गतिशील घूमती है
स्थिर नहीं रहती है
इसलिए हर कोने में
क्रम क्रम से
उजाला बांटती रहती है।
अंधेरे और उजाले का
आना जाना चलता रहता है
न अंधेरे से डर
न उजाले से इतरा,
सब समदृष्टि रखने वाला ही
आगे बढ़ता रहता है।