Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Related Articles
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-9
दुर्योधन भले हीं खलनायक था ,पर कमजोर नहीं । श्रीकृष्ण का रौद्र रूप देखने के बाद भी उनसे भिड़ने से नहीं कतराता । तो जरूरत…
मैं हारूँगा नहीं
थक चूका हूँ , पर हारा नहीं हूँ मैं निरंतर चलता रहूँगा आगे बढ़ता रहूँगा उदास हूँ ,मायूस हूँ पर मुझे जितना भी आज़मा लो…
मिस्टर लेट लतीफ
हरेक ऑफिस में कुछ सहकर्मी मिल हीं जाएंगे जो समय पर आ नहीं सकते। इन्हें आप चाहे लाख समझाईये पर इनके पास कोई ना कोई बहाना…
न अंधेरे से डर
न उजाले से इतरा,
सब समदृष्टि रखने वाला ही
आगे बढ़ता रहता है।
_______ यह सत्य है कि सूर्य नहीं डूबता है, पृथ्वी घूम घूम कर क्रम से ही इस दुनिया को सूर्य की रोशनी बांटती है, इसलिए हे मानव मुसीबत में नहीं घबराना और सफलता पर नहीं इतराना चाहिए यही सुंदर संदेश दिया है कवि सतीश जी ने अपनी इस कविता में, उच्च स्तरीय लेखन
अति उत्तम कविता, सच्ची बात