Site icon Saavan

समन्दर

समन्दर का वो किनारा साथी है हमारा,
जहां बैठ घंटों है वक्त हमने गुजारा,
जैसे कि उनसे सदियों से नाता हो हमारा,
बहुत बार तो मिलना नहीं हुआ है
पर एक अनोखा रिश्ता सा कायम रहा है,
मिलन का अनुभव हर बार उम्दा ही रहा है;

उसकी लहरे खूब बतियाती हैं पास आके,
कहती हैं, “आना जाना तो लगा रहेगा यूं ही,
वक्त भी चलता रहेगा हर आने जाने के साथ ही,
फिर भी, हर गमन पर दुख होगा उतना ही
जितना की आगमन पर अपरिमित खुशी होगी,”
इस सांसारिक नियम का अलग ही आनंद है,
जिसमें जीवन के हर रस रंग की अनुभूति होती है,
वो रंग आसमान के रंग से साफ़ या दुधीले,
लाल, नारंगी, सतरंगी, बदरंगी, या नीले
और कभी बादलों से घिरे काले रंग जैसे ही होते हैं,
जिन रंगों में जीवन के अलग अलग आयाम मिलते हैं,
वो दिल में आस व उमंगों को गतिमान रखते हैं,
येे उमंगे अग्नि के उस गोले सरीखे होते हैं
जो उसी आंधी से धधक उठते हैं
जो कभी उन्हें बुझा दिया करती हैं;
आरजू है बस इतनी सी,
इन लहरों की तरह ही गतिमान रहूं हमेशा ही,
चाहे आंधी आए कैसी भी।
©अनुपम मिश्र

Exit mobile version