धर्म बचाने के खातिर अपना सर्वस्व बलिदान दिया।
हुए पिता कुर्बान थे उनके पुत्रों ने भी बलिदान दिया।।
कटा दिए सिर एक एक कर पर चोटी नहीं कटाई।
अनशन कर प्राण दिया पर जूठी रोटी नहीं खाई।।
ऐसे सरवंश दानी को दिल से सब प्रणाम करो।
“विनयचंद “निज देश धर्म का सदा सहृदय सम्मान करो।।
,,,,,,,,,,,,,,,,शहीदों को कोटिशःप्रणाम,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,