रात और दिन का मिलन साँझ है सखी,
कब मिलोगे टकटकी में आंख है सखी।
आ रही है रात दूर जा रहा दिन
खोल कर कपाट दिल के झाँक ले सखी।
रात और दिन का मिलन साँझ है सखी,
कब मिलोगे टकटकी में आंख है सखी।
आ रही है रात दूर जा रहा दिन
खोल कर कपाट दिल के झाँक ले सखी।