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सावन की पहली बारिश

सावन की पहली बारिश जब
तपती सूखी सी धरती को,
पहली बूंदों से छू लेती ,
तब लगता जैसे हंसती हो
कमसिन सी नार अकेले में ।
साड़ी में लिपटी सोई हुई ,
जैसे चटक- मटक नखरैली नार ,
बूंदे पढ़ते ही मुस्काई ,
उन्मुक्त हंसी यू बिखराई।
सब हरा हुआ तन और ये मन ।
धरती ने ओढ़ी धानी चुनर

निमिषा सिंघल

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