सावन की पहली बारिश
सावन की पहली बारिश जब
तपती सूखी सी धरती को,
पहली बूंदों से छू लेती ,
तब लगता जैसे हंसती हो
कमसिन सी नार अकेले में ।
साड़ी में लिपटी सोई हुई ,
जैसे चटक- मटक नखरैली नार ,
बूंदे पढ़ते ही मुस्काई ,
उन्मुक्त हंसी यू बिखराई।
सब हरा हुआ तन और ये मन ।
धरती ने ओढ़ी धानी चुनर
निमिषा सिंघल
सुन्दर चित्रण
धन्यवाद
वाह बहुत सुंदर रचना ढेरों बधाइयां
आभार
Nice
आभार
अति सुंदर रचना बधाई
Dhanyavad 🙏
Nice
Thank you
Good