सावन जी उठता है vivek singhal 3 years ago तुम रहती हो तो सावन पर बहार रहती है.. तुम्हारे दम से ही तो सावन की महफिल सजती है.. सूना हो जाता है सावन आ जाती है पतझड़, जो तुम एक दिन भी नहीं आती हो.. जैसे ही आती हो रोम रोम खिल उठता है सावन जी उठता है..