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सावन पर

किसी ने पूछा मुझसे,
“सावन” पे लिखती हो, क्या मिल जाता है?
मैनें कहा —–
मुझे समझने वाले सखा, सखी हैं,
समझते हैं, जो रचनाएं मैनें लिखी हैं।
उनकी लिखी रचनाओं को भी पढ़ पाती हूं,
इस क्षेत्र में और आगे बढ़ पाती हूं।
आत्मा की खुराक मिल जाती है,
दो घड़ी तबीयत भी खिल जाती है।
आदर, सम्मान, प्रेम, स्नेह सब मिलता है,
और किसी को क्या चाहिए….

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