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“सावन” मंच हमरा

विविध काव्यों से सजा है न्यारा
कविवर ने है जिसे संवारा
समालोचना की मुखरता से
मिलकर सबने जिसे निखारा
छन्द- अलंकार की बहती धारा
हाँ, वह है “सावन” मंच हमारा।
बनी एक पहचान हमारी
खुद से हुई मुलाकात हमारी
जहाँ अपने ही अनछुए पहलू को
जाना, समझा और संवारा
हाँ, वह है “सावन” मंच हमारा ।
भावों की बहती है अविरल सरिता
विविध उदगारों से बनती है कविता
हर मुद्दे पे उठते बोल यहाँ पर
हर क्षेत्र में जिसने किया इशारा
हाँ, वह है “सावन” मंच हमारा ।

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