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सिमट गया चंद लफ़्जों में आज

गया चंद लफ़्जों में आज

सिमट गया चंद लफ़्जों में आज

सिमट गया चंद लफ़्जों में आज
ढल गये अहसास कुछ अश्कों मे आज
कहने को तमाम जिंदगी का तजूर्बा है मेरे पास
सुनने वाला कोई भी नही है आज |

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