सुधा बरसे सदा वाणी से,
ह्रदय में भी ना कोई गरल हो।
कभी किसी का,
दिल ना दुखाऊँ मैं
मेरी वाणी मीठी और सरल हो।
मदद कर सकूॅं पीड़ितों की,
ऐसा भाव रहे सदा मन में
हृदय की भावनाएं सदा तरल हों।
क्षमा-दान भी दे पाऊं,
कोई क्षमा माॅंगे तो मैं
किसी का जीवन कठिन न करूँ,
मेरा भी जीवन सरल हो॥
_____✍गीता