सुनती आ रही हूं बातें दुनिया की
बातों में पता नहीं अपनापन कहीं खो जाता है
करती हैं बातें दुनिया जमाने भर की
मगर खुद को बयां नहीं कर पाता है
सुनती आ रही हूं बातें दुनिया की
बातों में पता नहीं अपनापन कहीं खो जाता है
करती हैं बातें दुनिया जमाने भर की
मगर खुद को बयां नहीं कर पाता है