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सुबह होगी:- स्वर्ण रश्मियों को झोले में लेकर….

सुबह होगी
हाँ, सुबह होगी
लेकर स्वर्ण रश्मियों को
अपने झोले में
कुछ खंगालेगी
गेहूं की अधपकी बालियों को
लहलायेगी
उलझी हुई वृक्षों की लटों को
सुलझाकर
नदियों को काला टीका लगाकर
कुछ गुनगुनाएगी
समुंदर में स्नान कर
अपनी भीगी जुल्फों को
पुष्पों पर झटक कर
इतराएगी….

कुछ इस तरह से
कल सुबह होगी…..

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